तेरी पतंग, मेरा इश्क
वो भी दिन थे,
मेरी खिड़की तेरी पतंग का साहिल थी
खामोश इश्क की भीनी सी बुनियाद थी
और अब उस खिड़की से पहले
अनगिनत उलझी हुई तारों का पहरा है
तेरी पतंग, मेरा इश्क तो फिर भी..
उसने कई मासूम परिंदों को निगला है
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