Dear Bombay, love at first sight. Not

ये माचिस के डिब्बों से घर, खिडकियों पर लोहे की सिल्लियाँ 
आँगन न बाल्कनियाँ , लोकल का शोर सूरज का जोर
लम्बी रातें, खामोश बातें, मच्छी की गंध, भाषा का तंज
इतना उखड़ा क्यूँ है ये शहर, इतनी जकड़ी क्यूँ है ये हवा
अपने आपसे दूर, न जाने क्या ढूंढ़ रहीं हूँ मैं यहाँ 

ये भूरा समंदर, उसके चेहरे पर पीली सी मुस्कान 
नामचीन लोगों के ऊँचे मकान
इस शहर के करीने बहुत अलग हैं
लोन पर चांदनी, बे-तारा आसमान है
मुठ्ठियाँ बंद, पुतलियाँ सुन्न - 
सपने सैकड़ो पर गिनती कि कश्तियाँ 
बासी चाय, रूखे बर्तन, तीखी गालियां

Comments

Sudesh Bhatt said…
super like ,accha likhti hai ap
Rahul said…
Nicely written.. I liked "sapne saikdon perginti ki kashtiyan" line most.

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