जब वो तस्वीर देखी
For a flame that never was.
आज तुम्हारा चेहरा देखा अपने आईने में,
वक़्त की नकेल है या नहीं
ये भांपने की फुरसत ही नहीं
तेरे अक्स को महसूस कर लेती हूँ
कबसे चादर पर सिलबट नहीं
तेरी आखें आज भी पाक हैं
तेरी हैसियत कितनी मासूम है
मुझमें कुछ कमी है इसिलए शायद
आज भी हांफती वो एक आखरी आस है
हम दोनों के सर पर एक ही आसमान था
अकड़ी धूप और फिसलती छाँव थी
कहानियों में सुना ज़रूर है
पर किसे पता भला अंत है या नहीं?
आज तुम्हारा चेहरा देखा अपने आईने में,
वक़्त की नकेल है या नहीं
ये भांपने की फुरसत ही नहीं
तेरे अक्स को महसूस कर लेती हूँ
कबसे चादर पर सिलबट नहीं
तेरी आखें आज भी पाक हैं
तेरी हैसियत कितनी मासूम है
मुझमें कुछ कमी है इसिलए शायद
आज भी हांफती वो एक आखरी आस है
हम दोनों के सर पर एक ही आसमान था
अकड़ी धूप और फिसलती छाँव थी
कहानियों में सुना ज़रूर है
पर किसे पता भला अंत है या नहीं?
Comments
2. Stop posting comments with fake names
3. I will not but you shuddap!